हाथ पांव बाँधहु तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके ।। ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा ॥ रोद्र रूप धर शत्रु संहारो, अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ।। – Make sure the Baglamukhi Mata Yantra remains within a clean https://arthurihyjp.tokka-blog.com/32122044/a-simple-key-for-baglamukhi-unveiled